Study With Vikas Pundir Sir
Saturday, 18 July 2020
मानव
रे मन था अबोध बालक।
मस्तिष्क ने मानव बना दिया,
किया क्या साकार तूने अब तक,
यू व्यर्थ ऐसे सब गंवा दिया।
मत हो अधीर, हो दृढ़ प्रतिज्ञ ,
कर नवसृजन निशदिन जतन,
निश्चय ही विजय तुम्हारी है।
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